अगर आपसे पूछा जाए कि नौकरी चुनते वक्त आपके लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज क्या है, तो बिना किसी शक के आपका जवाब मोटी सैलरी होगा। हालांकि, ऐसा होना भी चाहिए। लेकिन कुछ भारतीय ऐसा नहीं मानते।
अगर आपसे पूछा जाए कि नौकरी चुनते वक्त आपके लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज क्या है, तो बिना किसी शक के आपका जवाब मोटी सैलरी होगा। हालांकि, ऐसा होना भी चाहिए। लेकिन कुछ भारतीय ऐसा नहीं मानते।
दरअसल, जॉब प्लेटफॉर्म इनडीड ने कुछ समय पहले एक सर्वे किया था, जिसमें पता चला कि भारतीय कर्मचारी मोटी सैलरी से ज्यादा लचीले काम के घंटे और सम्मान को तवज्जो देने लगे हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक 71 फीसदी इंडियन अपने काम में फ्लेक्सिबिलिटी चाहते हैं। वह वर्कप्लेस पर काम करने की आजादी चाहते हैं।
भारतीय लोगों का कहना है कि वह वर्क फ्रॉम होम-काम के घंटे खुद से सेट करने पर हर कर्मचारी का अधिकार होना चाहिए। कोरोना काल में समझ आ गया है कि पैसे कमाने से ज्यादा वर्क लाइफ बैलेंस करना आना चाहिए।
एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में कर्मचारियों की कंपनी के प्रति वफादारी कम है। अगर नए कर्मचारियों को आकर्षित करना है और पुरानों को रोकना है, तो कंपनियों को रिवॉर्ड की नीति अपनानी
एक सर्वे का कहना है कि भारत में कर्मचारियों सैलेरी के साथ- साथ मेडिक्लैम की सुविधा भी चाहते हैं ताकि मुसीबत के समय उन्हें थोड़ी राहत मिल सके।
‘ओलिवबोर्ड' के सर्वे में पाया गया कि 44.3 फीसदी युवा सैलरी से ज्यादा नौकरी में स्थिरता चाहते हैं। वहीं 36.7 फीसदी लोगों ने काम व जीवन के बीच के संतुलन को चुना था।
ओलिवबोर्ड के सह-संस्थापक व सीईओ अभिषेक पाटिल ने कहा अधिकतर भारतीय छोटे शहरों और गांवों में रहते हैं, जहां घर चलाने के लिए नौकरियों की मांग सबसे ज्यादा है।